Fastag 2025 New Rule: बाइक वालों को देना होगा ₹1,800 का सालाना पास

Published On: June 26, 2025
Follow Us
Fastag Annual Pass 2025

Fastag Annual Pass 2025 – अगर आप बाइक चलाते हैं और अक्सर लंबी दूरी की यात्राओं पर निकलते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। हाल ही में भारत सरकार ने एक नई पॉलिसी लागू की है, जिसके तहत बाइक चालकों को भी अब ₹1,800 का सालाना टोल टैक्स देना होगा। अब तक ये टैक्स कार, ट्रक और भारी वाहनों पर ही लागू होता था, लेकिन अब बाइकर्स को भी इससे छूट नहीं मिलने वाली।

इस फैसले के बाद से बाइकर्स के बीच खासा नाराज़गी का माहौल है। सोशल मीडिया पर बहसें चल रही हैं, रोड ट्रिपर्स के ग्रुपों में हलचल मची है और कई राज्यों में बाइकर्स विरोध भी कर रहे हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि ये नई पॉलिसी क्या है, इसका असर आम लोगों पर कैसे पड़ेगा और आगे सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है।

क्या है यह नई टोल टैक्स नीति?

सरकार ने साफ कर दिया है कि अब बाइकर्स को साल में एकमुश्त ₹1,800 का भुगतान करना होगा, जिससे वे देशभर में टोल सड़कों का इस्तेमाल कर सकें। पहले बाइक सवारों को टोल प्लाज़ा पर टैक्स से छूट मिलती थी, लेकिन अब वह सुविधा खत्म कर दी गई है।

इतना ही नहीं, जो FASTag पास पहले बाइकर्स के लिए वैकल्पिक और सुविधाजनक विकल्प था, उसे भी अब बंद कर दिया गया है। यानी अब बाइकर्स को हर हाल में यह टैक्स देना ही होगा, चाहे वे टोल रोड का इस्तेमाल करें या नहीं।

बाइकर्स क्यों हैं नाराज़?

इस फैसले को लेकर सबसे ज्यादा नाराज़गी इसलिए है क्योंकि बाइक एक आम आदमी का साधन है। कार या SUV की तरह यह लग्ज़री नहीं, बल्कि रोज़ाना इस्तेमाल में आने वाला एक जरूरत का वाहन है। ऐसे में बाइक चालकों को भी टोल टैक्स के दायरे में लाना लोगों को नाइंसाफी लग रही है।

  • बाइकर्स आम तौर पर कम दूरी की यात्रा करते हैं, फिर भी उन्हें पूरा सालाना टैक्स देना होगा
  • ₹1,800 की राशि छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए बोझ बन सकती है
  • जिन लोगों की बाइक की कीमत ही ₹50,000 से कम है, उनके लिए यह टैक्स काफी ज्यादा है
  • टोल प्लाज़ा पर पहले से ही ट्रैफिक रहता है, अब बाइक्स के लिए अलग से लाइन बनानी पड़ेगी

क्या मिल रही है कोई सुविधा इसके बदले?

सरकार का कहना है कि यह नई नीति ट्रैफिक मैनेजमेंट, टोल रोड्स की देखरेख और यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए लागू की जा रही है। इसके साथ ही सरकार ने कुछ विकल्प भी सुझाए हैं:

  • डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए टोल टैक्स का एडवांस भुगतान
  • मासिक या तिमाही आधार पर किस्तों में भुगतान की सुविधा
  • भविष्य में बाइकर्स के लिए अलग टोल लेन और स्मार्ट पास की योजना

हालांकि इन सुविधाओं को लागू होने में वक्त लग सकता है और तब तक आम बाइकर्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

बाइकर्स अब क्या कर रहे हैं?

नई नीति के बाद बाइकर्स अब अपने खर्चों को कंट्रोल करने और सफर को सस्ता बनाने के उपाय खोज रहे हैं:

  • समूह में यात्रा करना ताकि खर्च साझा हो
  • ऐसे रूट्स चुनना जहां टोल टैक्स नहीं देना पड़े
  • डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना ताकि कैश की झंझट न हो
  • सरकार से टैक्स की समीक्षा की मांग करना

कुछ बाइकर्स ने ऑनलाइन याचिकाएँ भी दायर की हैं और कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। खासकर वे लोग जो डिलीवरी ब्वॉय या दोपहिया से प्रोफेशनल काम करते हैं, उनके लिए यह टैक्स और ज्यादा भारी पड़ रहा है।

सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही है?

सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा है कि यह नीति देशभर में टोल सिस्टम को समान और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से लागू की गई है। साथ ही सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि:

  • किसी को अचानक भारी रकम न चुकानी पड़े, इसलिए किस्तों में भुगतान की सुविधा दी जा रही है
  • डिजिटल सिस्टम से टोल भुगतान की प्रक्रिया आसान बनाई जा रही है
  • लंबी कतारों से बचने के लिए स्मार्ट सिस्टम पर काम किया जा रहा है

सरकार यह भी कह रही है कि अगर ज्यादा विरोध हुआ और व्यवहारिक दिक्कतें आईं, तो नीति की समीक्षा की जा सकती है।
क्या है आगे का रास्ता?

फिलहाल यह नीति लागू कर दी गई है और सरकार इसे धीरे-धीरे देशभर में लागू करने की योजना पर काम कर रही है। लेकिन इसमें कई चुनौतियाँ हैं:

  • टोल प्लाजा पर पहले ही भीड़ होती है, बाइकर्स की लाइन से और दिक्कत बढ़ सकती है
  • छोटे कस्बों और गांवों में लोग डिजिटल सिस्टम से उतने परिचित नहीं हैं
  • अलग-अलग राज्यों की भिन्न नीतियाँ भ्रम पैदा कर सकती हैं

अगर सरकार वाकई यह चाहती है कि बाइकर्स को भी टैक्स दिया जाए, तो उन्हें कोई न कोई सुविधा भी देनी होगी, जैसे फास्ट लेन, सेफ पार्किंग, हेलमेट सब्सिडी या कुछ और।

इस नई नीति को लेकर राय बंटी हुई है। कुछ लोग इसे ट्रैफिक मैनेजमेंट और विकास के लिए जरूरी कदम मानते हैं, तो कुछ इसे आम आदमी पर बोझ मानते हैं। ज़रूरत इस बात की है कि सरकार अपनी योजना को ज़मीनी स्तर पर उतारे और लोगों को समझाए कि इसका फायदा उन्हें कैसे मिलेगा।

जब तक ऐसा नहीं होता, बाइकर्स की नाराज़गी बनी रह सकती है। उम्मीद है कि सरकार संवाद और समझदारी से इस समस्या का हल निकालेगी।

sapan singh

Sapan Singh is the founder of bluelog.in, where he combines his passion for web development with his love for sharing knowledge. With a strong academic background in BCA and MCA, Sapan specializes in creating dynamic, user-friendly websites and applications that cater to the unique needs of clients and their audiences. Beyond development, Sapan is dedicated to staying ahead of the curve by constantly learning new technologies and trends. As a blogger, he shares his insights and experiences, helping others navigate the ever-evolving world of web development. His journey is one of continuous innovation, learning, and contributing to the tech community

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment