1. यह पर्व क्या है?
Chhath Puja 2025: चार-दिन का हिंदू सौर उत्सव है, जिसमे मुख्यतः Surya (सूर्य देव) और Chhathi Maiya (छठी मइया) की पूजा होती है।
- 2025 में यह उत्सव लगभग 26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक रहेगा।
- पूजा के दौरान उपवास, नदी/तालाब में स्नान, सूर्य को अर्घ्य देना जैसी कठोर लेकिन भावपूर्ण क्रियाएँ होती हैं।
2. इतिहास और पौराणिक कहानियाँ
- इस पूजा की जड़ें प्राचीन वैदिक युग तक मानी जाती हैं, जहाँ ऋषियों ने सूर्य-पूजा, निर्जला व्रत आदि किया करते थे।
- दो प्रमुख महाकाव्यों में इसका उल्लेख मिलता है:
- Sita ने Rama के साथ अयोध्या लौटने के बाद सूर्य को व्रत व यज्ञ किया था।
- Draupadi और Kunti ने भी क्रमशः व्रत किया था, और Karna — सूर्य के पुत्र — ने भी सूर्य को जल अर्पित किया था।
- इन कहानियों के चलते यह पूजा ‘छठ’ यानी षष्ठी तिथि (छठे दिन) को मनाई जाती है।
3. छठी मइया कौन हैं?
Chhathi Maiya को सूर्य देव की बहन या सजीव शक्ति माना जाता है, और वे बच्चों की रक्षा, लंबी उम्र व समृद्धि के लिए पूजी जाती हैं।
कुछ परंपराओं में उन्हें Shashthi देवी के रूप में देखा गया है, जो Kartikeya की पत्नी हैं।
4. पूजा के मुख्य अनुष्ठान
पूजा के चार प्रमुख दिन हैं – प्रत्येक का अपना महत्व है:

- नहाय-खाय (पहला दिन): नदी/तालाब में स्नान, शुद्ध भोजन लेना.
- खरना (दूसरा दिन): दिन भर व्रत, शाम को खीर-रोटी का प्रसाद. इसके बाद निर्जला व्रत आरंभ.
- संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन): अस्त होते सूर्य को जल-दूध-फल से अर्घ्य देना, नदी किनारे खड़े होकर.
- उषा अर्घ्य (चौथा दिन): सुबह जल्दी उठ कर उगते सूर्य को अर्घ्य, इसके बाद व्रत खुलता है.
5. क्यों इतना खास है? — बिहारी जुड़ाव
- यह त्योहार जात-पांत पार करके समानता का संदेश देता है — कोई पंडित नहीं, कोई भेदभाव नहीं, आम श्रद्धा.
- यह प्रकृति-पूजा का प्रतीक है — सूर्य, पानी, वायु, पृथ्वी का सम्मान.
- बिहार-पूर्वांचल में बड़े जमावड़े के साथ मनाया जाता है, चाहें गाँव हो या शहर; प्रवासी लोग भी इसमे लौटते हैं, भावनात्मक जुड़ाव गहरा है.
- सरल सामग्री-स्वरूप (फल-सब्जी, गन्ना, खीर-थेkuwa) के बावजूद भक्ति की गहराई विशाल है.
6. 2025 में क्या है विशेष?
- इस वर्ष पूजा की तिथि: 26 अक्टूबर 2025 से शुरू।
- गरीब-वर्ग, प्रवासी समाज तक इसका ध्यान बढ़ा है, देश के अन्य हिस्सों में भी यह ज्यादा दिखाई दे रहा है।
- इस बार राजनीतिक एवं सामाजिक मंचों पर भी इसका महत्व बढ़ा हुआ है, स्वच्छता, पर्यावरण, सामुदायिक बंधन जैसे मुद्दे जुड़े हैं।

7. निष्कर्ष
Chhath Puja सिर्फ एक पर्व नहीं — यह श्रद्धा, संयम, प्रकृति-सम्मान व सामाजिक मेल-मिलाप का प्रतीक है। इस त्योहार में सूर्य की पूजा, व्रत, नदी में खड़े होकर अर्घ्य, सामुदायिक रूप से मिलकर तैयारी करना सब मिलकर जुड़ाव बढ़ाते हैं।
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