Daughter Rights In Agriculture Land: क्या बेटी को मिल सकता है खेती की जमीन में हिस्सा? जानिए सुप्रीम कोर्ट का चौंकाने वाला फैसला

Published On: June 27, 2025
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Daughter Rights In Agriculture Land

Daughter Rights In Agriculture Land – भारत में पैतृक संपत्ति को लेकर अक्सर बहस होती है—खासकर तब जब बेटी अपने हक की बात करती है। अब भी कई लोग मानते हैं कि शादीशुदा बेटी का मायके की जमीन या जायदाद पर कोई हक नहीं होता। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस सोच को एक झटका दिया है और साफ कहा है कि बेटी का भी उतना ही अधिकार है जितना बेटे का—चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर संपत्ति पैतृक है, तो बेटी को उससे वंचित नहीं किया जा सकता। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 6 के अनुसार, बेटी अपने पिता की संपत्ति में उसी तरह उत्तराधिकारी है जैसे बेटा होता है। और ये हक शादी के बाद भी बना रहता है। यानी शादी के बाद बेटी “बाहर की” नहीं हो जाती।

क्या खेती की जमीन पर भी लागू होता है?

जी हां, कोर्ट ने खास तौर पर यह साफ किया कि बेटी का हक खेती की जमीन पर भी है, अगर वह पैतृक संपत्ति की श्रेणी में आती है। यानी अगर वो जमीन पिता को उनके पूर्वजों से मिली थी, तो बेटी को भी उसमें बराबर का हिस्सा मिलेगा। यह केवल घर या शहर की प्रॉपर्टी तक सीमित नहीं है।

आइए एक उदाहरण से समझते हैं

मान लीजिए किसी पिता के पास 12 एकड़ खेती की जमीन है और उनके तीन बच्चे हैं—दो बेटे और एक बेटी। तो बेटी को भी 1/3 हिस्सा यानी 4 एकड़ जमीन पर पूरा हक है। और यह हक उसे शादी के बाद भी मिलता है।

क्या भाई की मर्जी जरूरी है?

कई लोग मानते हैं कि भाई अगर हां कहे तभी बहन को हिस्सा मिलेगा। लेकिन कानून ऐसा नहीं कहता। बेटी को उसका हक देने के लिए भाई की सहमति जरूरी नहीं है। अगर कोई बेटी को उसका हिस्सा देने से इनकार करता है, तो वह कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

अगर नाम खसरे-खतौनी में नहीं है तो?

अगर जमीन के सरकारी रिकॉर्ड्स में बेटी का नाम दर्ज नहीं है, तो घबराने की जरूरत नहीं। वह SDM ऑफिस या तहसीलदार से शिकायत कर सकती है और ज़रूरत पड़ने पर कोर्ट भी जा सकती है। कानून उसकी तरफ है, बस कागज़ात सही और मजबूत होने चाहिए।

कोर्ट का नजरिया क्यों जरूरी है?

इस फैसले का मतलब सिर्फ एक बेटी के लिए राहत नहीं है, बल्कि पूरे देश की बेटियों के लिए उम्मीद की किरण है। यह बताता है कि कानून केवल परंपराओं के नाम पर भेदभाव को अब और बर्दाश्त नहीं करेगा। अब समय है कि बेटियों को उनके वाजिब हक दिए जाएं, न कि उन्हें सिर्फ शादी के बाद “दूसरा घर” कहकर हक से वंचित किया जाए।

बेटी अगर चाहे तो अपनी जमीन बेच भी सकती है?

बिलकुल! अगर बेटी को कानूनी रूप से उसका हिस्सा मिल गया है, तो वह उसे बेचना चाहें तो पूरा अधिकार है। वह उस जमीन की मालिक होती है और मालिक होने के नाते उसे अपनी संपत्ति के साथ कुछ भी करने की आज़ादी है—बशर्ते वो कानूनी तरीके से काम कर रही हो।

अगर पिता ने वसीयत नहीं बनाई हो?

अगर पिता की कोई वसीयत नहीं है, तब हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू होता है, जिसके अनुसार बेटी को हिस्सा मिलेगा। इसका मतलब ये नहीं कि बेटी को बाहर रखा जा सकता है। और अगर कोई बेटी को सिर्फ इस वजह से संपत्ति से बाहर करने की कोशिश करता है कि “वसीयत नहीं थी”, तो वह पूरी तरह से गलत है।\

बेटियों को चाहिए जानकारी और जागरूकता

कई बार बेटियां चुप रह जाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि लड़ाई में बहुत खर्चा होगा या घर के लोग नाराज़ हो जाएंगे। लेकिन यह हक का मामला है। अगर बेटियां जागरूक हों और सही तरीके से दस्तावेज तैयार करें, तो उन्हें उनका हक मिलना तय है। साथ ही, समाज में भी यह संदेश जाएगा कि बेटियां कमजोर नहीं हैं।

Disclaimer

यह लेख सुप्रीम कोर्ट के एक ताजा फैसले और मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। किसी भी कानूनी कदम उठाने से पहले किसी योग्य वकील से सलाह जरूर लें, ताकि आप अपने अधिकारों की रक्षा सही तरीके से कर सकें।

sapan singh

Sapan Singh is the founder of bluelog.in, where he combines his passion for web development with his love for sharing knowledge. With a strong academic background in BCA and MCA, Sapan specializes in creating dynamic, user-friendly websites and applications that cater to the unique needs of clients and their audiences. Beyond development, Sapan is dedicated to staying ahead of the curve by constantly learning new technologies and trends. As a blogger, he shares his insights and experiences, helping others navigate the ever-evolving world of web development. His journey is one of continuous innovation, learning, and contributing to the tech community

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