Property Documents: बिना इन डॉक्युमेंट्स के खरीदी प्रॉपर्टी तो भुगतना पड़ेगा बड़ा नुकसान

Published On: June 27, 2025
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Property Documents – आज के दौर में हर कोई चाहता है कि उसका खुद का घर हो, एक ऐसी जगह जहां वो सुकून से रह सके। लेकिन जमीन या मकान खरीदना जितना बड़ा फैसला है, उतना ही बड़ा रिस्क भी अगर आपने कुछ जरूरी बातों का ध्यान नहीं रखा। आपने जिंदगी भर की कमाई एक घर खरीदने में लगा दी और बाद में पता चला कि जमीन विवादित है, या मालिकाना हक ही किसी और का था – सोचिए कितना बड़ा झटका लगेगा।

इसलिए प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कुछ जरूरी कागजातों की जांच करना बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। यह काम बोरिंग लग सकता है लेकिन यही आपकी लाखों की कमाई को सुरक्षित रख सकता है। तो चलिए जानते हैं कि प्रॉपर्टी खरीदते समय किन दस्तावेजों पर जरूर ध्यान देना चाहिए।

1. रेरा सर्टिफिकेट – खरीदी की पहली गारंटी

अगर आप फ्लैट या कोई बिल्डर प्रोजेक्ट खरीद रहे हैं, तो सबसे पहले RERA (Real Estate Regulatory Authority) सर्टिफिकेट ज़रूर चेक करें। साल 2016 में रेरा एक्ट आया था ताकि ग्राहकों को प्रॉपर्टी खरीदते समय धोखाधड़ी से बचाया जा सके।

रेरा में रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट का मतलब है कि बिल्डर सरकारी नियमों के तहत काम कर रहा है, प्रोजेक्ट की हर जानकारी पब्लिक है और डेडलाइन तय है। इससे आपके पैसे का सुरक्षा कवच मिल जाता है। इसलिए बिल्डर या प्रॉपर्टी डीलर से साफ-साफ पूछिए – “भाई साहब, रेरा सर्टिफिकेट दिखाइए!”

2. सेल एग्रीमेंट – हर शर्त साफ-साफ लिखी हो

जब आप कोई प्रॉपर्टी पसंद कर लेते हैं और खरीदने का मन बना लेते हैं, तो अगला कदम होता है सेल एग्रीमेंट। ये एक तरह का एग्रीमेंट होता है जो बताता है कि प्रॉपर्टी किस हालत में, कितनी कीमत में, कब तक आपके नाम होगी, और क्या-क्या शर्तें लागू होंगी।

अगर आप लोन ले रहे हैं, तो बैंक भी इस दस्तावेज को ही देखकर लोन पास करता है। इसलिए इसे नज़रअंदाज नहीं करें। हर लाइन पढ़ें, वकील से दिखाएं और फिर ही साइन करें।

3. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट – कब्जा वैध है या नहीं?

ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) इस बात का प्रमाण होता है कि बिल्डिंग या मकान को स्थानीय अथॉरिटी ने ‘रहने योग्य’ माना है। अगर आप बिना OC वाली प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो आप बाद में मुश्किल में फंस सकते हैं।

कुछ जगहों पर बिजली, पानी, ड्रेनेज जैसी सुविधाएं तभी मिलती हैं जब OC हो। इसलिए किसी भी तैयार मकान में शिफ्ट होने से पहले यह सर्टिफिकेट जरूर मांगिए।

4. एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट – लोन या विवाद का पूरा इतिहास

Encumbrance Certificate (EC) यह बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई पुराना लोन, कर्ज या कानूनी केस तो नहीं चल रहा। यानी ये एक तरह की प्रॉपर्टी की हिस्ट्री होती है जो आपको बताती है कि कहीं आपकी आने वाली प्रॉपर्टी पहले से किसी मुसीबत में तो नहीं है।

आप इसे स्थानीय रजिस्ट्री कार्यालय से ले सकते हैं या आजकल ऑनलाइन भी कई राज्यों में यह मिल जाता है।

5. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) – रास्ता साफ है या नहीं?

कई बार जमीन या बिल्डिंग को लेकर लोकल अथॉरिटीज (जैसे नगर निगम, विकास प्राधिकरण) की मंजूरी जरूरी होती है। NOC एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जो यह साबित करता है कि उस जमीन या मकान को खरीदने में कोई कानूनी रोक नहीं है।

बिल्डर को कई डिपार्टमेंट से NOC लेना पड़ता है – फायर डिपार्टमेंट, वाटर सप्लाई, पर्यावरण आदि। प्रॉपर्टी खरीदते वक्त यह जरूर पूछें कि सभी NOC उपलब्ध हैं या नहीं।

6. ओनरशिप सर्टिफिकेट – असली मालिक कौन है?

बहुत बार ऐसा होता है कि प्रॉपर्टी बेचने वाला खुद मालिक नहीं होता – उसने पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए खरीद-फरोख्त का अधिकार लिया होता है। इसलिए ओनरशिप सर्टिफिकेट चेक करना बहुत जरूरी है जिससे यह कन्फर्म हो कि जिसे आप पैसे दे रहे हैं, वो ही असली मालिक है।

इसके लिए सेल डीड, लैंड रिकॉर्ड और म्युटेशन जैसी जानकारियां भी जरूरी होती हैं।

7. म्युटेशन और टैक्स रसीदें – जमीन का रिकॉर्ड अपडेट है या नहीं?

Mutation Certificate यानी म्युटेशन यह दिखाता है कि जमीन का नाम सरकारी रिकॉर्ड में अपडेट हुआ है या नहीं। यह जरूरी होता है ताकि आप भविष्य में उस प्रॉपर्टी पर बिजली कनेक्शन, लोन या कोई निर्माण कार्य करा सकें।

साथ ही यह भी देखें कि जमीन का प्रॉपर्टी टैक्स समय से भरा गया है या नहीं। टैक्स बकाया हो तो वह आप पर भी आ सकता है।

घर खरीदना सपना होता है, लेकिन उसे पूरा करने में जरा सी लापरवाही आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकती है। याद रखें, जितना समय आप लोकेशन और बजट तय करने में लगाते हैं, उतना ही समय इन डॉक्युमेंट्स की जांच में भी लगाएं।

कभी भी बिना वकील या जानकार की सलाह लिए कोई भी दस्तावेज साइन न करें। अपने सपनों के घर को हकीकत बनाने के लिए जरूरी है कि आप हर कागज की पड़ताल खुद करें।

sapan singh

Sapan Singh is the founder of bluelog.in, where he combines his passion for web development with his love for sharing knowledge. With a strong academic background in BCA and MCA, Sapan specializes in creating dynamic, user-friendly websites and applications that cater to the unique needs of clients and their audiences. Beyond development, Sapan is dedicated to staying ahead of the curve by constantly learning new technologies and trends. As a blogger, he shares his insights and experiences, helping others navigate the ever-evolving world of web development. His journey is one of continuous innovation, learning, and contributing to the tech community

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