संपत्ति विवाद खत्म! सुप्रीम कोर्ट ने बता दिया – बिना सहमति कौन बेच सकता है जायदाद Property New Rules

Published On: July 1, 2025
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Property New Rules

Property New Rules – भारत में संपत्ति को लेकर जितने झगड़े होते हैं, शायद ही किसी और वजह से इतने विवाद होते हों। खासकर जब बात पैतृक यानी पुश्तैनी संपत्ति की होती है, तो मामला और भी उलझ जाता है। कोई कहता है कि ये मेरी है, कोई कहता है कि बिना पूछे कैसे बेच दी? ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आम इंसान को सही और कानूनी जानकारी मिले।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे विवाद पर सिर्फ दो लाइन में फैसला सुनाया और साफ कर दिया कि कौन संपत्ति को बिना किसी की इजाजत के बेच सकता है और कौन नहीं। अगर आपके पास भी कोई जमीन-जायदाद है या आप ऐसे किसी विवाद से जूझ रहे हैं, तो ये जानकारी आपके बहुत काम की है।

सबसे पहले समझें – संपत्ति के दो रूप

संपत्ति दो तरह की होती है:

  1. स्व अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property)
    यह वो संपत्ति होती है जिसे आपने खुद की मेहनत, वेतन या कारोबार से खरीदा है।
    उदाहरण: आपने अपनी कमाई से फ्लैट लिया या प्लॉट खरीदा।
  2. पैतृक संपत्ति (Ancestral Property)
    यह वो जमीन या जायदाद होती है जो चार पीढ़ियों से बिना बंटवारे के चली आ रही हो।
    जैसे – दादा से पिता और फिर पुत्र तक आई कोई ज़मीन।

सुप्रीम कोर्ट का दो टूक फैसला क्या कहता है?

“स्व अर्जित संपत्ति को मालिक बिना किसी की इजाजत के बेच सकता है।
लेकिन पैतृक संपत्ति को बेचने के लिए सभी वारिसों की सहमति जरूरी है।”

मतलब साफ है – अगर आपने संपत्ति खुद कमाई है, तो आप चाहे किसी को बेचो, गिफ्ट करो या ट्रांसफर करो – कोई कुछ नहीं कह सकता। लेकिन अगर संपत्ति पुश्तैनी है, तो बिना भाई-बहन, बेटे-बेटी, पत्नी या अन्य कानूनी वारिसों की सहमति के, आप उसे नहीं बेच सकते।

स्व अर्जित संपत्ति में पूरी आज़ादी

अगर आपने खुद कमाई से कोई संपत्ति ली है तो:

  • आप उसे किसी को भी बेच सकते हैं।
  • बिना पत्नी या बच्चों से पूछे गिफ्ट कर सकते हैं।
  • कोर्ट या कानून इसमें दखल नहीं देगा।
  • दान या वसीयत भी बिना इजाजत कर सकते हैं।

उदाहरण:
राम ने नौकरी करके 25 लाख की प्लॉट खरीदी। अब वो चाहें तो वो प्लॉट अपने दोस्त को गिफ्ट कर दें या बेच दें – बच्चों या पत्नी से पूछना जरूरी नहीं।

पैतृक संपत्ति में सबका बराबर हक

अगर संपत्ति आपके दादा या पिता से चली आ रही है और बंटवारा नहीं हुआ है तो:

  • उसमें सभी वारिसों का बराबर का हिस्सा होता है।
  • बिना सहमति के बेचने पर सौदा कोर्ट में रद्द हो सकता है।
  • किसी एक का हक दूसरे के हिस्से को खत्म नहीं कर सकता।
  • इसे न तो अकेले बेचा जा सकता है, न दान किया जा सकता है।

उदाहरण:
श्याम के पास एक ज़मीन है जो उसके दादा से पिता और फिर उससे आई है। अब अगर श्याम अपने भाई या बहन से पूछे बिना वह ज़मीन बेच देता है तो वो सौदा गैरकानूनी माना जाएगा।

कानूनी वारिस कौन-कौन होते हैं?

पैतृक संपत्ति में जिनका हिस्सा होता है:

  • बेटे और बेटियाँ (दोनों का बराबर अधिकार)
  • पत्नी
  • माता-पिता (कुछ मामलों में)
  • पोते-पोतियाँ (अगर बेटा जीवित न हो)

दान (Gift) की बात: किस संपत्ति को दे सकते हैं?

  • स्व अर्जित संपत्ति: आप इसे किसी को भी दान कर सकते हैं – कोई रोक नहीं।
  • पैतृक संपत्ति: सभी वारिसों की सहमति के बिना दान नहीं की जा सकती।

अगर किसी ने संपत्ति बिना पूछे बेच दी तो क्या करें?

अगर कोई वारिस बिना आपकी मंजूरी के पुश्तैनी संपत्ति बेच देता है, तो आप तुरंत:

  • सिविल कोर्ट में केस करें
  • रजिस्ट्री को चैलेंज करें
  • फर्जी सेल डीड को रद्द कराएं
  • धोखाधड़ी के आरोप में पुलिस में शिकायत करें

किन कागज़ों को संभाल कर रखें?

  1. पुरानी खतौनी / खसरा / रजिस्ट्री पेपर
  2. वंशावली (Family Tree) – कौन किसका वारिस है
  3. कोर्ट के पुराने ऑर्डर (अगर कोई हो)
  4. सेल डीड और म्युटेशन की कॉपी

Self-Acquired Property बेचने में क्या सावधानियां रखें?

  • रजिस्ट्री पूरी तरह कानूनी रूप से करवाएं।
  • देखें कि संपत्ति पर कोई विवाद तो नहीं।
  • म्युटेशन और सेल डीड को अपडेट रखें।
  • किसी भी पेपर पर साइन करने से पहले कानूनी सलाह जरूर लें।

संपत्ति विवाद में क्या न करें?

  • झूठे कागजों पर भरोसा न करें।
  • बिना Proper Agreement पैसा न दें।
  • Family Settlement को लिखित में रजिस्टर्ड करें।
  • भावनाओं में बहकर संपत्ति ट्रांसफर न करें।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से क्या बदलेगा?

  • विवाद कम होंगे – अब नियम सबको पता होंगे।
  • फर्जी बिक्री पर रोक लगेगी – कोई अकेला मालिक बनने का दावा नहीं कर पाएगा।
  • कानूनी रूप से हकदारों को ताकत मिलेगी।
  • धोखाधड़ी के केस घटेंगे – क्योंकि रजिस्ट्री रद्द हो सकेगी।

संपत्ति के मामलों में भावनाओं से ज्यादा कानूनी समझदारी जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आपके हक को सुरक्षित करता है, बस जरूरी है कि आप:

  • फर्क समझें – पैतृक और स्व अर्जित संपत्ति का
  • बिना जानकारी किसी पेपर पर साइन न करें
  • अपने कागज और अधिकार संभाल कर रखें
  • और किसी सौदे से पहले कानूनी सलाह जरूर लें

sapan singh

Sapan Singh is the founder of bluelog.in, where he combines his passion for web development with his love for sharing knowledge. With a strong academic background in BCA and MCA, Sapan specializes in creating dynamic, user-friendly websites and applications that cater to the unique needs of clients and their audiences. Beyond development, Sapan is dedicated to staying ahead of the curve by constantly learning new technologies and trends. As a blogger, he shares his insights and experiences, helping others navigate the ever-evolving world of web development. His journey is one of continuous innovation, learning, and contributing to the tech community

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